आइए दोस्तों आज हम लोग इस आर्टिकल के जरिए जानते है ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है और कैसे काम करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम क्या है?
ऑपरेटिंग सिस्टम इसे शॉर्ट फॉर्म में ओ. एस कहा जाता है यह एक ऐसा कंप्यूटर प्रोग्राम होता है जो अन्य कंप्यूटर प्रोग्राम का संचालन तथा देख रेख करता है, ऑपरेटिंग सिस्टम उपयोगित(यूजर) तथा कंप्यूटर सिस्टम के बीच मध्यस्थ का कार्य करता है, यह हमारे निर्देशों को कंप्यूटर को समझाता है। ऑपरेटिंग सिस्टम को सिस्टम सॉफ्टवेयर भी कहा जाता है ऑपरेटिंग सिस्टम यूजर और कंप्यूटर हार्डवेयर के बीच इंटरफ़ेस पैदा करने का काम करता है जब आप कंप्यूटर को चालू करते हो तब यह ऑपरेटिंग सिस्टम ही आपको कंप्यूटर इस्तेमाल करने का तरीका बताता है, उदाहरण के लिए जैसे आप 3,4 विंडोज कंप्यूटर में खोल कर बैठ जाते हो और कीबोर्ड से कुछ टाइप करते हो तो आपकी स्क्रीन पर आ जाता है यह सब ऑपरेटिंग सिस्टम का ही कमाल है जिससे यह सब आप कर पाते हो बिना ऑपरेटिंग सिस्टम के काम नहीं संभव है।
माइक्रोसॉफ्ट विंडोज
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम
एप्पल मैकोस
एप्पल आईओएस
गूगल एंड्रॉयड O.S
विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के बहुत सारे पार्ट है,जो ज्यादा यूज में नहीं आते है ज्यादा तर log ini ऑपरेटिंग सिस्टम को prefer करते हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम के प्रकार
डिफरेंट डिफरेंट कार्य के अनुसार डिफरेंट डिफरेंट ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है,जो इस प्रकार है।
लिनक्स ऑपरेटिंग सिस्टम
एप्पल मैकोस
एप्पल आईओएस
गूगल एंड्रॉयड O.S
विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम के बहुत सारे पार्ट है,जो ज्यादा यूज में नहीं आते है ज्यादा तर log ini ऑपरेटिंग सिस्टम को prefer करते हैं।
ऑपरेटिंग सिस्टम का काम
जब हम कंप्यूटर को ऑन करते हैं और जब कंप्यूटर बंद करते है तब ऑपरेटिंग सिस्टम ही कार्य करता है और जब हम गेम चालू करते हैं, MS word Adobe reader, वीएलसी मीडिया प्लेयर फोटो शॉप जैसे और बहुत सारे सॉफ्टवेयर कंप्यूटर सिस्टम के अंदर रहते है, इनको चलाने के लिए एक प्रोग्राम या बड़ा सॉफ्टवेयर चाहिए जिसको हम ऑपरेटिंग सिस्टम बोलते हैं,मोबाइल में यूज होने वाले ऑपरेटिंग सिस्टम का नाम एंड्राइड होता है ऑपरेटिंग सिस्टम के काम कुछ इस प्रकार है।
प्रोसेसर मैनेजमेंट करना, डिवाइस मैनेजमेंट करना,फाइल मैनेजमेंट करना, सिक्योरिटी सिस्टम को हैंडल करना,सिस्टम परफॉर्मेंस देखना,error batana, मेमोरी मैनेजमेंट करना, सॉफ्टवेयर और यूजर के बीच तालमेल बैठाना
प्रोसेसर मैनेजमेंट करना, डिवाइस मैनेजमेंट करना,फाइल मैनेजमेंट करना, सिक्योरिटी सिस्टम को हैंडल करना,सिस्टम परफॉर्मेंस देखना,error batana, मेमोरी मैनेजमेंट करना, सॉफ्टवेयर और यूजर के बीच तालमेल बैठाना
1. मेमोरी मैनेजमेंट:-
मेमोरी मैनेजमेंट का मतलब है प्राइमरी और सेकेंडरी मेमोरी को मैनेज करना मेन मेमोरी मतलब RAM एक बहुत ही बड़ा array के बाइट्स है,मतलब मेमोरी में बहुत सारे छोटे-छोटे खर्चे होते हैं यहां पर हम कुछ डाटा रख सकते है।
2.प्रोसेसर मैनेजमेंट:-
जब multiprogramming एनवायरमेंट की बात की जाए तो ओ. एस डिसाइड करता है कि किस प्रोसेसर को प्रोसेस मिलेगा और किसको नहीं मिलेगा और कितने समय तक मिलेगा इस प्रोसेस को बोला जाता है प्रोसेस scheduling operating system. यह सब काम करवाता है।
3. Device management:-
आपके कंप्यूटर में ड्राइवर का इस्तेमाल तो होता है, यह बात तो आप लोग जानते ही होंगे जैसे कि साउंड ड्राइवर, ब्लूटूथ ड्राइवर,ग्राफिक्स ड्राइवर, वाईफाई ड्राइवर, यह अलग-अलग इनपुट आउटपुट डिवाइस को चलाने में मदद करते हैं इन ड्राइवर को ओएस चलाता है। सभी कंप्यूटर devices को ट्रैक करता है, और यह टास्क जो करवाता है उस प्रोग्राम का नाम है IO controller
4. फाइल मैनेजमेंट:-
एक फाइल में बहुत सारे डाक्यूमेंट्स को इकट्ठा करके रखा जाता है क्योंकि हम इस में आसानी से डाटा ढूंढ सकते हैं इसका काम होता है, information, location और स्टेटस को संगठित करके रखता है यह सब काम फाइल सिस्टम के होते हैं।
5. सिक्युरिटी:-
जब आप अपना कंप्यूटर है आप फोन नहीं आ लैपटॉप ओपन करते हो तो आपसे पासवर्ड पूछा जाता है, इसका मतलब यह है कि ऑपरेटिंग सिस्टम आपके सिस्टम को अनऑथेंनतिकेटेड access से रोकता है, इससे आपका कंप्यूटर सुरक्षित रहता है,और बहुत सारे प्रोग्राम ऐसे होते हैं जो कि बिना पासवर्ड के ओपन नहीं हो सकते हैं।
6. सिस्टम परफॉर्मेंस:-
सितंबर माह में जो होता है वह कंप्यूटर के परफॉर्मेंस के ऊपर नजर रखता है और सिस्टम को ठीक करता है ऑपरेटिंग सिस्टम रिकॉर्ड करके रखता है कि सर्विस देने में कितना समय लगता है।
7. एरर बताना:-
अगर सिस्टम में बहुत सारे एरर आ रहे हैं तो उनको ओ यस डिटेक्ट करता है और रिकवर करता है इस तरह से एरर काम करता है।
8. सॉफ्टवेयर और यूजर के बीच तालमेल बैठाना:-
कंपाइलर, interpreter, और assembler ko टास्क assin करना होता है अलग-अलग सॉफ्टवेयर को यूजर्स के साथ जोड़ता है, जिससे यूजर सॉफ्टवेयर को अच्छे से इस्तेमाल करने में सक्षम होता है, यूज़र और सिस्टम के बीच में एक तरह का कम्युनिकेशन प्रदान करता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम के एडवांटेज
ऑपरेटिंग सिस्टम की स्पीड जाता तेज होती है क्युकी इसमें multiprocessing का इस्तेमाल किया जाता है।
अगर बहुत सारे टास्क एक साथ प्रोसेस में रहते है जिसका मतलब है सिस्टम थ्रू फुट बढ़ जाता है।
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