आइए दोस्तों आज हम लोग इस आर्टिकल के जरिए जानते है,G-7 समूह क्या है,और यह क्या करता है।
चलिए दोस्तो पहले जानते है G-7 समूह क्या होता है।
क्या है G-7?
G-7 दुनिया की विकसित अर्थव्यवस्थाओं का समूह है। फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, जापान, कनाडा, और अमेरिका इसके सदस्य हैं। इसे group of seven यानी जी-7कहा जाता है।
औद्योगिक रूप में विकसित देशों का यह समूह खुद को 'कम्युनिटी आप वैल्यूज' यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय कहता है। मानवाधिकारों की सुरक्षा, स्वतंत्रता, लोकतंत्र, कानून का शासन, आर्थिक समृद्धि वे निरंतर विकास इसके मुख्य सिद्धांत है। दुनिया की अर्थव्यवस्था की चाल वे रफ्तार को निर्देशित करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है। दुनिया की कुल आबादी का जहां दसवां हिस्सा इन देशों में है, वही वैश्विक जीडीपी मैं इन देशों की 40 प्रतिशत भागीदारी है। G-7 एक अंतरराष्ट्रीय अंतर सरकारी आर्थिक संगठन है, जिसमें "(I.M.F) द्वारा बताई गई 7 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था शामिल है।
क्या करता है जी 7?
G-7 समूह के देशों के नेताओ की दो दिवसीय शिखर बैठक हर साल होती है, जिसमें महत्वपूर्ण बैशिक आर्थिक मुद्दों के साथ-साथ अहम राजनीतिक सुरक्षा और सामाजिक मुद्दों पर भी चर्चा होती है। इसके सभी सदस्य बारी-बारी से समूह की अध्यक्षता करते हैं। और सालाना शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हैं, इसमें अन्य देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया जाता है। G7 के पिछले को सफल सम्मेलनों में ऊर्जा नीति, जलवायु परिवर्तन, एचआईवी ऐड्स और वैश्विक सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दे पर चर्चा हुई। इस बार फ्रांस में हो रहे शिखर सम्मेलनों में चर्चा का विषय ' असमानता के खिलाफ लड़ाई' है,।
पहले जी 8 था नाम,रूस हुआ बाहर तो बना G 7
इस समूह का पहला शिखर सम्मेलन 1975 में हुआ था तब इसमें केवल 6 सदस्य थे और इसे जी सिक्स के नाम से जाना जाता था, लेकिन उन्हीं से 76 में कनाडा के शामिल होने के बाद इसमें 7 सदस्य हो गए जिसके बाद इसे जी 7 नाम दिया गया। 1998 में रूस भी इसमें शामिल हुआ, लेकिन क्रीमिया पर कब्जे के कारण 2014 में इसे समूह से निकाल दिया गया जिसके बाद यह फिर से G7 के नाम से जाना जाने लगा अब एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसमें रूस को शामिल करने पर जोर दिया है।
G 7 की जरूरत क्यों पड़ी?
70 के दशक में कई देशों को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था.पहला- तेल संकट और दूसरा-फिक्स करेंसी एक्सचेंज रेट्स के सिस्टम का ब्रेकडाउन 1975 में जी सिक्स की पहली बैठक आयोजित की गई, जहां इन आर्थिक समस्याओं के समाधान ओं का विचार किया गया सदस्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक नीति पर समझौता किया और बैसिक आर्थिक मंदी से निपटने के लिए समाधान निकालें
G-7 का मकसद क्या है?
G7 खुद को मूल्यों का आदर करने वाला उस समुदाय के रूप में देखता है जो दुनिया भर में शांति सुरक्षा और आजादी के लिए खड़ा है। स्वतंत्रता और मानव अधिकारों की सुरक्षा, लोकतंत्र और कानून का शासन, समृद्धि और सतत विकास, इसमें अहम सिद्धांत है।
किन मुद्दों पर होती है चर्चा?
जी 7 शिखर सम्मेलन में सदस्य देशों के मंत्री और नौकरशाह आपसी हितों के मामले पर बातचीत के लिए हर साल मिलते हैं सदस्य देश उन मुद्दों पर बातचीत करते हैं जिनका वैश्विक महत्व होता है इसमें आर्थिक, विदेश सुरक्षा और विकास जैसे मुद्दे शामिल होते हैं, यहां उन मुद्दों पर भी बातचीत की जाती है
जिन पर राजनीतिक कार्यवाही की जरूरत होती है या आम लोगों से जुड़ा होता है.
G_7 का मुख्यालय कहां है?
G7 का हैडक्वाटर निश्चित नहीं है। हर वर्ष जिस देश में जी 7 सम्मेलन होना होता है वहां पर अगले सम्मेलन तक इसका मुख्य कार्यालय बना दिया जाता है। 2018 में G7 का 44 वां शिखर सम्मेलन कनाडा के ला मालबाई में हुआ था। 2019 में हाल ही में G7 का 45 वां सम्मेलन फ्रांस के बिरिताज में हुआ है ,और यही 2019 के लिए G7 का हेड क्वार्टर है 2020 में 46 वा G7 का सम्मेलन अमेरिका द्वारा आयोजित किया जाएगा।
भारत ,चीन G7 का हिस्सा क्यों नहीं है?
भारत के साथ-साथ चीन भी जी 7 देशों का हिस्सा नहीं है, जबकि इसे दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था माना जाता है। इसकी एक बड़ी वजह है यहां की आबादी हर प्रति व्यक्ति आय में कमी है। G7 समूह देशों के मुकाबले इन दोनों देशों में ना केवल जनसंख्या कई गुना ज्यादा है, बल्कि प्रति व्यक्ति आय भी उनके मुकाबले काफी कम है। ऐसे में इन दोनों देशों को विकसित अर्थव्यवस्था नहीं माना जाता और इसलिए ये इस समूह का हिस्सा नहीं है।
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